बिहार का शोक मानी जाने वाली उफनती कोसी को रोकने में अब भारत सरकार को और पसीना बहाना पड़ेगा। दरअसल नेपाल प्रभाग में पड़ने वाले पूर्वी बाहोत्थान बांध की फुल्टेगौड़ा नामक जगह पर सुरक्षा पूर्व में चीन के सहयोग से नेपाल द्वारा की जाती थी। इस बार यह जिम्मेदारी भारत सरकार के जल संसाधन विभाग के जिम्मे आ पड़ी है। विभाग व जिला प्रशासन इसे एक बड़ी चुनौती मान रहा है। विभाग को बांध के 32 किमी. से ऊपर तक के तटबंध की सुरक्षा की अतिरिक्त जिम्मेदारी इस वर्ष से सौंपी गई है। नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल और वहां फैली अराजकता से अब तक सुरक्षा संभाल रही चीनी एजेंसी ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। तटबंध के 15 किमी. का इलाका जल संसाधन विभाग बिहार के जिम्मे आया है।
उच्चस्तरीय समिति एवं सेटेलाइट से खींचे गए खाके के आधार पर विभाग ने पूर्वी बाहोत्थान बांध से पानी का दबाव घटाने के लिए दो पायलट चैनलों के अलावा दर्जनों बिंदुओं पर कटाव निरोधी कार्य किए जाने की अनुशंसा की है। फुल्टेगौड़ा के निकट पायलट चैनल के निर्माण में व्यवधान उत्पन्न डाला जा रहा है। नेपाल सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा के इंतजामों के बावजूद चार हजार मीटर से अधिक लंबाई वाले चैनल का निर्माण नहीं किया जा सका। 1500 मीटर के दूसरे पायलट चैनल का निर्माण कार्य किसी तरह पूरा किया जा सका। यद्यपि तटबंध के कई नाजुक बिंदुओं पर कटाव निरोधक कार्य सफलतापूर्वक कराए गए हैं। विभाग भी तटबंध को पूरी तरह सुरक्षित मान रहा है।
इधर जून के तीसरे सप्ताह में ही कोसी का जलस्तर 1 लाख 57 हजार क्यूसेक पार कर जाने से विभाग सक्रिय हो गया है। तटबंध पर तीन शिफ्टों में 24 घंटे निगरानी हो रही है। बराह क्षेत्र, फुल्टेगौड़ा, राजावास व कोसी बराज से प्रत्येक घंटे की सूचना ली जा रही है।
गौरतलब है कि कुसहा त्रासदी के वक्त भी नेपाल प्रभाग में कार्य में व्यवधान उत्पन्न किया गया था। फुल्टेगौड़ा से भी कार्य में व्यवधान की सूचना आती रही है। ऐसे में तटबंध की सुरक्षा सरकार के सामने एक नई चुनौती के रूप में सामने आई है। जल संसाधन विभाग (बिहार) के प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह के पांच दौरे भी हो चुके हैं। उन्होंने तटबंध को पूरी तरह सुरक्षित बताया है। मुख्य अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि नेपाल सरकार से पूरा सहयोग मिल रहा है। जिला पदाधिकारी कुमार रवि ने भी बुधवार को तटबंध का निरीक्षण कर इसे सुरक्षित बताया था।
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