Thursday, 20 September 2012

स्कूल बस: आपकी सुविधा, लाडले के जान की दुश्मन !


स्कूल बस: आपकी सुविधा, लाडले के जान की दुश्मन !




आपकी सुविधा कहीं आपके लाडले के जान की दुश्मन ना बन जाये। जिस बस से आप अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि उस बस में नियम का सख्ती से पालन हो रहा है या नहीं। बच्चों की सुरक्षित व आरामदायक यात्रा के लिए स्कूल बसों के परिचालन के लिए गाइड लाइन बने हैं, मगर इनका सही तरीके से कहीं भी पालन नहीं होता दिख रहा है। स्कूल बसों से बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को कम करने व स्कूल की जिम्मेदारी को तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल बसों के लिए नियम बनाये हैं। जिससे दुर्घटनाओं को कम किया जा सके। मगर कोर्ट के नियमों को ताक पर रख कर स्कूल प्रबंधन पुराने व अप्रशिक्षित स्टाफ के भरोसे गाड़ियों को चला रहे हैं। क्षमता से अधिक बच्चों को बस में बैठा कर लाना व ले जाना नियम के साथ सीधा-सीधा मजाक है। अभिभावकों द्वारा भी इसका कभी विरोध नहीं किये जाने के कारण स्कूल प्रबंधन नियमों के पालन से बच जाते हैं, जबकि गाइड लाइन का पालन करने के लिए सख्त निर्देश दिये गये हैं।
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बाक्स के लिए
जानिये क्या है स्कूल बसों के नियम
1. स्कूल बस का रंग पीला हो
2.बस के आगे व पीछे स्कूल बस लिखा हो अगर बस किराये पर हो तो 'स्कूल डयूटी' साफ-साफ लिखा हो।
3. बस में फस्ट एड बॉक्स अनिवार्य रूप से हो।
4. बस में मानक स्पीड गवर्नर लगा हो।
5. बस की खिड़कियों में जाली लगी हो।
6. बस में आग बुझाने का यंत्र लगा हो।
7. बस पर स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर अंकित हो।
8. बस के दरवाजे अच्छे व सुरक्षा की दृष्टिकोण से भरोसेमंद हों।
9. स्कूल बैग को अच्छे से रखने के लिए सीट के नीचे जगह बनी हो।
10. बस में बच्चों का ध्यान रखने के लिए एक पढ़ा लिखा स्टाफ हो ।
11. बस में एक शिक्षक या अभिभावक जरूर बैठें हों।
12. ड्राइवर के पास पांच साल का कम से कम गाड़ी चलाने का अनुभव हो।
13. साल में दो बार ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने वाले ड्राइवर को गाड़ी चलाने का हकदार नहीं माना जायेगा।
14. ड्राइवर अगर एक बार भी शराब पीकर गाड़ी चलाने, अत्यधिक स्पीड या खतरनाक ढंग से गाड़ी चलाने का दोषी पाया गया तो वह स्कूल बस नहीं चला सकता है।

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