निर्मली : अनुमंडल वासियों को शुद्ध जल नसीब हो सके, इसके लिए वर्ष 1980 में एक जल मीनार का निर्माण कराया गया था. लेकिन आज भी यह जल मीनार अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पा रहा है.
तकरीबन 19 लाख 25 हजार 900 रुपये की लागत से बना जल मीनार विभागीय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. सूत्रों की माने तो तीन दशक पूर्व बने जल मीनार में पेयजल संचयन के लिए बीते चार जून 2012 को एक मोटर भी लगाया गया. बावजूद इसके स्थानीय लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
इस बाबत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्थानीय अभिषेक पंसारी, दीपक पंसारी, उमेश राय सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि एक तरफ सरकार जहां पेय जल उपलब्ध कराने को लेकर विविध योजनाएं चला रही है, वहीं विभागीय उदासीनता के कारण अनुमंडल वासियों को दूषित जल पीने की विवशता बनी है. अनुमंडल क्षेत्र में गरमी के दिनों में पेयजल की समस्या अक्सर बनी रहती है.
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इस बाबत पूछने पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कनीय अभियंता भिखारी राम ने बताया कि नगर पंचायत द्वारा शहर के विभिन्न वार्डो में जलापूर्ति को लेकर मैप तैयार किया जा रहा है. ढांचागत तैयारी पूरी होते ही पानी मिलना शुरू हो जायेगा.
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