रैगिंग का मतलब परिचय करना
सुपौल : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में स्थानीय बीएसएस कॉलेज विज्ञान भवन में एंटी रैगिंग विषय पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया.
शिविर को संबोधित करते हुए प्राधानाचार्य डॉ संजीव कुमार ने कहा कि वरिष्ठ छात्रों द्वारा कनीय छात्रों को किसी प्रकार की मानसिक, शारीरिक, आर्थिक व आध्यात्मिक पीड़ा पहुंचायी जाती है तो वह रैगिंग श्रेणी में आता है.
उन्होंने कहा कि प्रारंभ में इसका उद्देश्य पवित्र था. इसके माध्यम से सीनियर व जूनियर छात्रों के बीच जान-पहचान बढ़ती थी व नवांतुक छात्रों में संकोच की भावना दूर की जाती थी. इससे जूनियर छात्रों की प्रतिभा की जानकारी सीनियर छात्रों को मिल पाती थी, लेकिन पाश्चात्य देशों में इसका प्रयोग गलत तरीके से होने लगा.
वर्ष 1980 के दशक में अपने देश के बड़े शिक्षण संस्थानों में यह विकृति आयी. पीड़ित होने वाले छात्र-छात्राएं आत्महत्या तक करने को मजबूर हो गये. ऐसी स्थिति आज भी बनी हुई है. डॉ कुमार ने छात्रों को रैगिंग को सही अर्थ में लेने की सलाह दी.
उक्त विषय पर अधिवक्ता कौशल किशोर सिंह व अधिवक्ता दिलीप वर्मा ने विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला. इस मौके पर डॉ ज्ञानंजय द्विवेदी, प्रो कृपानंद झा, डॉ राजेन्द्र झा, प्रो बाल मुकुंद सिंह, प्रो चंद्रिका प्रसाद यादव, प्रो मो इदरीश सहित दर्जनों छात्र उपस्थित थे.
No comments:
Post a Comment