सुपौल जागरण प्रतिनिधि: खतरे की आशंका को देखते हुए इसबार सरकार ने नावों का निबंधन अनिवार्य कर दिया है। इससे नाव दुर्घटनाओं को कम किया जा सकेगा। वहीं गलती करने वालों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। ओवरलोडिंग, विकास की समुचित व्यवस्था इत्यादि विन्दुओं पर विभाग नजर रखेगा। इधर लोग जागरूकता व लंबी विभागीय प्रक्रिया के कारण दूर ही रहना उचित समझ रहे हैं। इन सब के बीच तटबंध के बीच बसे लोगों की जिन्दगी बद से बदतर होती जा रही है। सरकारी नाव दी नहीं जा रही है और निजी नाव में निबंधन का लफड़ा। नतीजा है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में आवागमन की समस्या से लोगों की जिन्दगी फंस सी गई है।
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सरकारी फाइलों में चल रही नाव
सरकारी आंकड़ों को देखते हैं तो अब तक विभिन्न प्रखंडों से आई सूचना के अनुसार सुपौल प्रखंड में छह सरकारी व 22 निजी नाव चलाये जा रहे हैं। सरायगढ़ में चार सरकारी व 16 निजी नाव चलाये जाने की जानकारी बीडीओ द्वारा दी जा रही है। उन्होंने बताया कि सरकारी नावों में से दो लौकहा और दो ढ़ोली में चलाये जा रहे हैं। लेकिन इससे ढ़ोली के सरपंच आनंद प्रसाद सिंह ने अपना विरोध जताया है। कहा कि अभी तक कोई सरकारी नाव का परिचालन प्रारंभ नहीं किया गया है। उसी तरह लोग निजी नाव पर मनमाना भाड़ा देकर चल रहे हैं। निबंधन के बाबत बीडीओ का कहना है कि वगैर निबंधन के कोई नाव नहीं चलायी जा रही है। वहीं किसनपुर प्रखंड में चार सरकारी और 21 निजी नाव चलाये जा रहे हैं। निबंधन की प्रक्रिया चल रही है। जबकि यहां भी पीड़ितों और अधिकारियों के बीच विरोधाभास है। लोगों का कहना है कि अब तक निजी नाव निबंधन की प्रक्रिया ही इतनी जटिल है कि जबतक इसे पूरा किया जायेगा तबतक काफी देर हो चुकी होगी। मरौना में सात निजी व निर्मली में दो सरकारी नाव चलाये जाने की जानकारी विभाग के पास है जबकि मरौना का इलाका फिलहाल काफी दुरूह हो चला है और तटबंध के बीच बसी आबादी के लिये आवागमन समस्या बन गई है। हालांकि जिलाधिकारी ने तटबंध इलाके का दौरा कर तीब्र गति से नाव बहाली किये जाने का सख्त निर्देश संबंधित सीओ को जारी किया है। ताकि पीड़ितों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
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अब ये हो गया है नियम
नाव की क्वालिटी, उसकी लंबाई-चौड़ाई और ऊंचाई देखी जायेगी। उसकी कार्य क्षमता का आकलन किया जायेगा और उसी के अनुसार नाव पर सवारी किये जाने यानी लोडिंग की क्षमता तय की जायेगी और इसकी अनुमति प्रदान की जायेगी। क्षमता से अधिक लोडिंग किये जाने की स्थिति में यदि कोई दुर्घटना होती है तो नाव मालिक कार्रवाई की जद में आयेंगे। नाव पर सुरक्षा के बाबत जो सामग्री नियमानुकूल मान्य है इसका नाव पर रहना अनिवार्य है। इन सामग्री में कम-से-कम चार लाइव जैकेट, दो टयूब रिंग, रोशनी की उत्तम व्यवस्था, लाल व हरी रोशनी की व्यवस्था रहना अनिवार्य है। प्रशिक्षित नाविकों द्वारा ही इसका संचालन किया जा सकता है। इसकी देखरेख की जवाबदेही अंचल अधिकारी द्वारा की जायेगी। निबंधन में हालांकि कम राशि लग रही है लेकिन यह दो वर्षो के लिये ही मान्य माना जायेगा। दो वर्षो के बाद फिटनेस कराने के बाद ही दोबारा निबंधन कराने की प्रक्रिया पूरी की जायेगी।
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कहते हैं अधिकारी
एडीएम आपदा प्रबंध रामविलास चौधरी कहते हैं कि निबंधन की प्रक्रिया सुलभ तरीके से चलाई जा रही है। अब तक 50 से ऊपर नावों का निबंधन किया जा चुका है और 150 नावों के निबंधन के लिये राशि जमा की जा चुकी है। उधर बाढ़ वाले क्षेत्र में नावें चल रही है और इसकी संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है।
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