सुपौल: जल का अकूत भंडार रहने के बावजूद यहां खेतों को पानी नसीब नहीं हो पाता है। कोसी की दुहाई भी किसानों को रास नहीं आती। कोसी त्रासदी में ध्वस्त पड़ी नहर प्रणाली आज तक पुनस्र्थापित नहीं की जा सकी है। हालांकि इस वर्ष उसमें कुछ पानी छोड़ा जा रहा है जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। 15 हजार क्यूसेक की क्षमता वाले इन नहरों में मात्र दो हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। जब उन्मुक्त थी कोसी तो जहां से ये गुजरती तो कहीं खेत बालू से भर जाते थे तो कहीं खेतों की उर्वरा शक्ति दुगुनी हो जाती थी। यानी कोसी की इनायत से मिट्टी भी सोना बन जाती थी।
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कोसी के इलाके में नहरों का है जाल, लेकिन सिंचाई को तरसते किसान
कोसी को तटबंधों के बीच कैद किया गया और सुपौल, सहरसा,मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया जिले की लगभग 18.35 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई के उद्देश्य से पूर्वी मुख्य नहर का निर्माण कराया गया। 43 किमी लंबी ये नहर कोसी बराज से निकलकर फारबिसगंज जोगबनी रेल लाइन को पारकर परमाने नदी में मिलकर समाप्त हो जाती है। इस क्रम में यह कोसी की छाड़न धारा हैया, बोचहा,सुरसर, कजरा समेत 12 अन्य धाराओं से होते निकलती है। इस मुख्य नहर से पांच शाखा नहरें निकाली गई है। जिनके नाम जानकी नगर शाखा नहर, अररिया शाखा नहर तथा राजपुर शाखा नहर है। कहीं-कहीं मुख्य शाखा नहर से सीधे भी छोटी-छोटी नहरें निकालकर सिंचाई की व्यवस्था की गई। राजपुर शाखा नहर से चार उपशाखायें मधेपुरा 80.25 किमी, गम्हरिया 77.36 किमी,सहर्षा 89.78 किमी और सुपौल 74.90 किमी निकाली गई। इनकी वितरणी, उपवितरणी व लघु नहरों की लंबाई 550.62 किमी है।
अरबों की लागत से बनी कोसी की नहरें तकनीकी गड़बड़ियों अथवा अन्य कारणो से सिंचाई का पूरा लाभ किसानों को नहीं पहुंचा पाई। 2005 में 55 करोड़ की लागत से नहर पुनस्र्थापन का कार्य पूरा किया गया। लेकिन फिर तकनीकी समस्या के चलते कुछ ही शाखा नहरों में पानी छोड़ा जा सका। हालांकि इस कार्य की जांच प्रक्रिया भी लंबी चली। इसी बीच कुसहा त्रासदी ने रही-सही कसर पूरी कर दी और नहरों की संरचना ही ध्वस्त हो गई। पूर्वी कोसी मुख्य नहर समेत उससे निकलने वाली सिंचाई प्रणालियों में कुल 2857 संरचनाएं ध्वस्त हुई थी। पुन: 321 करोड़ की लागत से इसके पुनस्र्थापन का कार्य प्रारंभ हुआ। 2008 के बाद 2012 में ये स्थिति बनी जब नहरों को थोड़ा पानी नसीब हो पाया। यानी केवल राजपुर शाखा नहर में फिलहाल पानी छोड़ा जा रहा है।
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